जिन असलहों के लिए जेल भेजे गए अब उनके हाथों में हैं
7 बेगुनाहों को मिले अपने 9 असलहे, 3 को अभी मिलने का है इंतजारबेगुनाह होते हुए भी फर्जी शस्त्र लाइसेंस के आरोप में पुलिस ने भेजा था जेल गोरखपुर। वरिष्ठ संवाददाता फर्जी लाइसेंस के मामले में जेल गए 7 बेगुनाह अदालत के आदेश के बाद अपने 9 असलहे पा गए। अभी तीन और लोगों को उनके असलहे मिलने हैं मगर उन्होंने कोई प्रयास नहीं किया है। ये असलहे बीते दिनों लाइसेंस के फर्जीवाड़े के बाद जब्त कर लिए गए थे।अभी तक उन गुनहगारों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई जिनके चलते इन दस बेगुनाहों को एक सप्ताह की जेल काटनी पड़ी थी और सामाजिक बदनामी तथा मानसिक पीड़ा और आर्थिक दिक्कतें सहनी पड़ी थी। ऐसे लोगों के खिलाफ न तो पुलिस ने कोई कार्रवाई की और न ही प्रशासन ने। मामला सामने आने पर दोनों ने एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की। अब तो पूरे मामले को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। ये लोग पा गए जब्त असलहेबेगुनाह-1खोराबार के नौवा अव्वल गांव निवासी राम नयन रिटायर्ड शिक्षक हैं। उन्होंने वर्ष 2001 को एक नाली बंदूक का लाइसेंस बनवाया और बंदूक खरीदी। लाइसेंस फर्जीवाडे में छह अक्टूबर 2019 को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 12 अक्टूबर को जमानत पर बाहर आए और असली दस्तावेज निकलवाकर खुद को बेगुनाह साबित किया। 16 मार्च 2020 को असलहा वापस मिल गया।बेगुनाह-2कुईं बाजार निवासी विनोद कुमार ने वर्ष 2002 में दो नाली बंदूक का लाइसेंस बनवाया और बंदूक खरीदी। लाइसेंस फर्जीवाडे में छह अक्टूबर 2019 को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 12 अक्टूबर 2019 को जमानत पर बाहर आए और असली दस्तावेज निकलवाकर खुद को बेगुनाह साबित किया। 16 मार्च 2020 को असलहा वापस मिल गया।बेगुनाह-3राम लखना गांव निवासी विजय प्रताप आबकारी में सिपाही हैं। उन्होंने 1995 में दो नाली बंदूक तथा 1999 में रिवाल्वर का लाइसेंस लिया और असलहा खरीदे। लाइसेंस फर्जीवाडे में पांच अक्टूबर 2019 को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। 12 अक्टूबर 2019 को जमानत पर बाहर आए और असली दस्तावेज निकलवाकर खुद को बेगुनाह साबित किया। 16 मार्च 2020 को असलहा वापस मिल गया।बेगुनाह-4जंगल चवरी निवासी डॉक्टर महताब अहमद, पेशे से डॉक्टर हैं। उन्होंने वर्ष 2002 में एक नाली बंदूक का लाइसेंस बनवाया और बंदूक खरीदी। लाइसेंस फर्जीवाडे में पांच अक्टूबर 2019 को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 12 अक्टूबर 2019 को जमानत पर बाहर आए और असली दस्तावेज निकलवाकर खुद को बेगुनाह साबित किया। 16 मार्च 2020 को असलहा वापस मिल गया।बेगुनाह-5जंगल सिकरी के रहने वाले मुहम्मद बिन कासिम ने 1995 में दो नाली बंदूक तथा 2007 में पिस्टल का लाइसेंस बनवाया। दोनों लाइसेंस पर असलहा खरीदे। लाइसेंस फर्जीवाडे में पांच अक्टूबर 2019 को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 12 अक्टूबर 2019 को जमानत पर बाहर आए और असली दस्तावेज निकलवाकर खुद को बेगुनाह साबित किया। 16 मार्च 2020 को असलहा वापस मिल गया।बेगुनाह-6खोराबार मिर्जापुर गांव के पूर्व प्रधान रहे रामआशीष निषाद ने वर्ष 2001 में रीपिटर गन का लाइसेंस बनवाया। पांच गोली वाले इस गन को उन्होंने खरीद लिया। लाइसेंस फर्जीवाडे में पांच अक्टूबर 2019 को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 12 अक्टूबर 2019 को जमानत पर बाहर आए और असली दस्तावेज निकलवाकर खुद को बेगुनाह साबित किया। 16 मार्च 2020 को असलहा वापस मिल गया।बेगुनाह-7खोराबार के रायगंज निवासी रामचन्द्र ने वर्ष 2001 में रायफल का लाइसेंस बनवाया और रायफल खरीदी। लाइसेंस फर्जीवाडे में पांच अक्टूबर 2019 को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 12 अक्टूबर 2019 को जमानत पर बाहर आए और असली दस्तावेज निकलवाकर खुद को बेगुनाह साबित किया। 16 मार्च 2020 को असलहा वापस मिल गया।अभी जमा है इन बेगुनाहों के असलहे जर्दा गांव के भैंसहा टोला निवासी जगदीश शुक्ला, छपरा गांव निवासी रामहित यादव, जंगल चावरी निवासी राम निवास यादव के असलहे अभी भी जमा है। उन्होंने असलहे के लिए अभी तक कोई प्रयास नहीं किया है।सात लोगों ने अपने शस्त्र को रिलीज करने के लिए कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया था। कोर्ट ने खोराबार थाना और जिला मजिस्ट्रेट से शस्त्र लाइसेंस की वैधता के बारे में रिपोर्ट मांगी थी। जिला प्रशासन शस्त्र लाइसेंस वैध होने की रिपोर्ट दी। बताया कि शस्त्र निलम्बन की कोई कार्रवाई नहीं चल रही है। 13 मार्च को कोर्ट ने शस्त्र रिलीज करने का आदेश दिया। संचित श्रीवास्तव, अधिवक्ता जिला प्रशासन को रिपोर्ट भेजकर बता दिया गया है कि शस्त्र लाइसेंस की गलत रिपोर्ट देने के चलते ही ये दस लोग जेल गए थे। इसमें पुलिस की तरफ से कोई चूक नहीं थी। अब जिला प्रशासन को ही गलत रिपोर्ट देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी है।सुमित शुक्ला, सीओ कैंट